कह विश्नोई कविराय, बाद में कुछ ना बनता नेता चुग ले वोट, फेर पछताए जनता। कह विश्नोई कविराय, बाद में कुछ ना बनता नेता चुग ले वोट, फेर पछताए जनता।
“क्यों नहीं!” जिन्न के कहते ही अगले ही क्षण रूपये-हीरे-जवाहरात आ गए। “क्यों नहीं!” जिन्न के कहते ही अगले ही क्षण रूपये-हीरे-जवाहरात आ गए।
तो इस कहानी को पूरा करने तो इस कहानी को पूरा करने
क्या पाया है हमने जिंदगी में, बताने को तो बहुत है क्या पाया है हमने जिंदगी में, बताने को तो बहुत है
खांसने पर मुलैठी को चिंगम जैसे चबाने को देती थी आंगन की तुलसीपत्तों का काढ़ा बुखार में खांसने पर मुलैठी को चिंगम जैसे चबाने को देती थी आंगन की तुलसीपत्तों का काढ़ा ब...
हरदम हमने ही सहा है, सबकी हर मनमानी। हिन्द देश में ही अब हिन्दी बन गई बेगानी॥ हरदम हमने ही सहा है, सबकी हर मनमानी। हिन्द देश में ही अब हिन्दी बन गई बेगानी॥